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"विदाई गीत / 11 / भील" के अवतरणों में अंतर

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भील लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

पीपर्या पाणिन माली पर ताड़ेनो पाते रो।
याहयणी तारो वाजो मांगो, मीन मकी भालूँ वो।
पीपर्या पाणिन माली पर, बोरिनो झीकरो।
झीकरे-झीकरे आव वो, याहयणी पाणि मी वताड़ूवो।

- पीपर्यापानी नामक गाँव के पठार पर ताड़ के पत्ते हैं। समधन से कहना है कि तेरा बाजा माँगता हूँ, नहीं तो तेरी मक्का की रखवाली नहीं करूँगा। आगे कहा गया कि पठार पर बेर के काँटे हैं तू काँटो से होकर आ, मैं तुझे पानी बता दूँगा।