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भील लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

रूसी भगवान राजा घर पावणों आयो॥
रूसी भगवान साते शेर लायो॥
राजा-राणी को एक लड़को रइयो तो रे राम॥
रूसी भगवान पावणो आयो राम।
राजा-रानी दाल-बाटी की मिजवानी दी राम॥
रूसी भगवान ने शेर वाटे लड़के के मिजवानी मांगी राम।
नइ तो भूख्या वापिस जावां जी।
राज-रानी लड़के की मिजवानी दी राम॥
राजा-रानी ने लड़के को आरी से काटा राम
नाहर के मिजवानी दे दी राम
राजा-रानी चार थाली परोसी राम।
रूसी भगवान बोल्या एक थाली और परोसो राम॥
राजा-रानी बोल्या एक आपकी, एक नाहर की राम,
एक म्हारी और एक राणी की राम।
पांचवी थाली किकावाटे जी
रूसी भगवान बोल्या लड़के को बुलाओ राम
राजा-राणी बोल्या लड़के को तो काटा राम
कहाँ से आवेगा राम॥
भगवान बोल्या तुम बाहर जाओ राम।
तुम्हारा लड़का गेंद खेल रहा राम॥
राजा-राणी खुसी हुया ने बाहर पहुँच्या राम।
गेंद खेलता बाला के देख्यो ने घरे लाया राम॥
सभी ने भगवान को भोग लगाया जी॥

-राजा मोरध्वज के यहाँ भगवान शेर लेकर परीक्षा लेने के लिए गये, और उनके अतिथि-सत्कार की परीक्षा ली थी। यह एक प्रसिद्ध कथा है,जिसमें भगवान ने राजा के पुत्र का माँस शेर को खिलाने को कहा। राजा ने अपने पुत्र को आरे से चीरकर शेर के समक्ष परोसा। भगवान रूपी साधु की परीक्षा में राजा-रानी सफल हुए। लड़के
को भगवान ने जीवित कर दिया। भगवान भक्तों की परीक्षा भी लेते हैं, क्योंकि बहुत से भक्त ढांेगी होते हैं, दिखावे के लिए भक्ति और दान-पुण्य करते हैं।