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भील लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
ओम-सोम दोनों बैल सुरता रास लगाय
धर्म की रास व लकड़ी पिराणा
हात में ले, सुरा ने ललकार
सत्य का माला रोपना धर्म की पेड़ी बंधाकर।
- धर्म का मकान सत्य की पेड़ी बँधाकर बनाना। ज्ञान के गोले चलाना जिससे पंछी उड़-उड़कर जायें। बोने के लिए सोवन सत्य का सरता बँधाकर बक्खर चलाना। कुल को तारने वाला बीज बोना, जिससे खेती लटालूम हो। भगवान के पास से बुलावा आया, वह वापस नहीं फेरा जा सकता है। कबीरदासजी की विनती है भगवान लज्जा रखना।