भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"होली पूजन / भील" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKLokRachna |भाषा=भील |रचनाकार= |संग्रह= }} <poem> तू आई वो बयण साल...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
16:33, 5 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण
भील लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
तू आई वो बयण सालिया पाल हंव आई वो बयण भर उल्हाळे॥
तू तो लाई बयण गोटी फटाका, न हंव लाई बयण लाल गुलाल॥
तू तो लाई बयण गुंजिया पापड़, न हंव तो लाई वाकड़ वेलिया॥
तू तो आई बयण गाय का गोयऽ, हंव तो आई बयण खयड़े व बयड़ै॥
तू तो आई वो बयण कार्तिक महने, हंव तो आई बयण फागण महने॥
- होली ओर दीपावली दोनों बहने हैं। होली बहन दीपावली से कहती है कि- बहन! तु सर्दी के दिनों में आयी और मैं गरमी में आयी। तू गोट्या पटाखा लायी और मैं गुलाल लायी। तू गुजिया पापड़ लायी और मैं जलेबी लायी। तू गौ के गोयरे आयी (गौ पूजन) मैं टेकरे-टेकरी पर आयी। तू कार्तिक माह में और मैं फाल्गुन में आयी। दोनों त्यौहारों का समय वे किस प्रकार मनाते हैं, इसका वर्णन किया है।