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भील लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
जसोदा पूछेरे म्हारा कानजी ने देख्या ओ॥
बरसाणा वजार माहे दड़िया रमर्या ओ,
चटियो हाथ में॥
हाँ रे चटियो हात में गोपियाँ गूलाल वारे ओ,
चटियो हाते में॥
- माता यशोदा किसी से पूछ रही है कि- मेरे कृष्ण कन्हैया को देखा है? उत्तर मिलता है कि- कन्हैया बरसाणा के बाजार में गेंद खेल रहा है और डंडा हाथ में है तथा गोपियाँ कन्हैया पर गुलाल की वर्षा कर रही हैं।