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भील लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

राते तो हाऊजी थारो जायो बारे रेग्यो ओ।
राते तो हाऊजी थारो जायो बारे रेग्यो ओ।
पाड़ोसण री भीत माथे पगल्या मंडिया ओ,
वरजो जाया ने,
हाँ रे वरजो जाया ने, लाड़कियो मोमाळ लाजे ओ,
वरजो जाया ने।

- एक बहू अपनी सास से अपने पति की शिकायत शिष्टता के साथ करती है कि- सासूजी! रात्रि में आपके पुत्र घर में नहीं आए। सुबह मैंने उनके पदचिन्ह पड़ोसन की दीवार पर मढ़े हुए देखे, आप उन्हें रोकिए, क्योंकि प्रतिष्ठित ममसाल भी लज्जा महसूस करेगा, उनकी प्रतिष्ठा भी जायेगी।