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16:53, 5 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण

भील लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

नाचण तो नाचण चाली ढोल गेरो वाजे रे।
होळी आगे गेरिया झरावर नाचे रे, हालो देखाने।
हाँ रे हालो देखाने हवजी वालो जायो नाचे रे, हालो देखाने।

- एक पत्नी कहती है कि- नाचने वाली नाचने का चली, ढोल अच्छा बज रहा है, देखने को चलो। मेरा पति भी नाच रहा है।