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"फाग गीत / 9 / भील" के अवतरणों में अंतर
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भील लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
झांज री झणकार में तो रोटा करती हुणी रे।
घूघरिया रो रणको में तो मोळो हुणियो रे,
छोरो थाकेलो।
हाँ रे छोरो थाकेलो, मेथी रो हंदाणो होदो रे
छोरो थाकेलो।
- एक महिला रोटियाँ बनाते हुए फाग वालों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करती है कि- झाँझ की झँकार तो मुझे अच्छे सुनाई दे रही है, किन्तु नाचने वाले घुँघरुओं की आवाज से प्रतीत होता हे कि वह कमजोर है। उसके लिए मेथी दाने लड्डू बनाओ ताकि उसके पैरों में ताकत आये।