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"फाग गीत / 10 / भील" के अवतरणों में अंतर

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भील लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

एक तो खाती रा बेटा, म्हारो काम करजे रे।
भाएलो परणीजे तोरण हकड़ो घड़े जे रे।
लीला डांडा रो।
हाँ रे लीला डांडा रो मोर ने पपीहा वाळो रे,
लीला डांडा रो।

- एक लड़की सुतार के पुत्र से आग्रह करती है कि- एक काम मेरा करना, मेरा प्रेमी ब्याह करने जा रहा है, उसके लिये हरी लकड़ी का छोटा तोरण घड़ना और उस पर मोर-पपीहे घड़कर लगाना।