भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"फाग गीत / 12 / भील" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKLokRachna |भाषा=भील |रचनाकार= |संग्रह= }} <poem> चन्दरमा री चांद...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

16:55, 5 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण

भील लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

चन्दरमा री चांदणी तारा रो तेज मोळो रे।
बालमणा रो भाएलो परदेस नीकाळियो,
मूंडे मळियो नी।
हाँ रे मूंडे मळियो नी, जातोड़ा री पीठ देखी यो,
मूंडे मळियो नी।

- एक युवती कहती है कि- चन्द्रमा की चाँदनी और तारों का प्रकाश मंद है। मेरे बचपन का प्रेमी बिना मिले परदेश चला गया। मुझसे मिला भी नहीं, जाते हुए उसकी पीठ देखी। इससे वह क्षुब्ध है।