भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सगाई के गीत / 4 / राजस्थानी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKLokRachna |भाषा=राजस्थानी |रचनाकार= |संग्रह= }} {{KKCatRajasthaniRachna}} <poe...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

18:48, 6 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण

लगन लिखते समय का गीत

बनी रा दादासा मोटा राजमी, बनी रो लगन लिखाय।
जेठ घुड़ला जी सुसरा पालकी, देवर खुरी हरलाय,
सासू जी रो डेरो आवे ढलकती, पाड़ोसन मंगल गाय,
राईबर तो घुड़ला चढ़ला, ज्यां पर चंवर ढुलाय।
बनी रा दादासा मोटा राजमी, बाई रो लगन लिखाय,
घुड़ला चढया है असवार जी, वर ढुंढण चाल्या,
देख्या-देख्या महल र माल जी देखी चतुराई, देख्यो मारा बन्ना सा रो रूप जी,
वे तो फोटू खिचाई।