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राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
घोड़ी म्हारी चन्द्रमुखी, इन्द्र लोक से आई जी राज।
आई रतनाली तेजन न, बन्ना बधावो जी राज।
ठाण बधावो तेजन, दूब चरावो जी राज।
दूब चरावो तेजन न, दूध पिलाओ जी राज।
दूध पिलावो घोड़ी न, झूल ओढ़ावो जी राज।
जठै दशरथ जी रा रामचन्द्र जी न, सीता परनाओ जी राज।
सीता परनाओ बन्ना सा न, देवता ढुकाओ जी राज।
घोड़ी म्हारी चन्द्रमुखी, साजन लोक से आई जी राज।
जठै रामचन्द्र जी रा, कवंरा न चौकी बैठाओ जी राज।
चौकी बैठाओ लाड़ला न, कन्या परनाओ जी राज।
नोट- इसी तरह घर के बड़ों का नाम लें।