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राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
लाडू सांदूली मगद का बीरो जी नूतन आई रे झुलरिया।
पहली नूतूली दादासा पाछे दाद्यां हमारी रे झुलरिया।
नूतो झेलूली मान से।
पहली नूतूली बाबासा पछे मायं हमारी रे झुलरिया।
पहली नूतूली काकासा पछे काक्यां हमारी रे झुलरिया।
पहली नूतूली बीरासा पछे भावज हमारी रे झुलरिया।
नोट-इस तरह पूरे परिवार के रिश्तों का नाम लें।