भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पीठी के गीत / 5 / राजस्थानी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKLokRachna |भाषा=राजस्थानी |रचनाकार= |संग्रह= }} {{KKCatRajasthaniRachna}} <poe...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

16:13, 7 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण

तू तो कर गोरा लाडा उबटणो, थारा उबटणा में बास घणी,
चम्पा री कलियां सुगंध घणी, मरवा री कलियां बास घणी,
थारा दादा सा संजोयो उबटणू, थारी दाद्या र मन हंूस घणी,
वो तो तेल फुलेल चम्पा की कली, तू तो कर गोरा लाडा उबटणू।
थारा बाबा सा संजोयो उबटणू, थारी मायां र मन हूंस घणी,
वा तो तोल फुलेल चम्पा की कली, तू तो कर गोरा लोडा उबटणूं
थारा काका-ताऊ संजोयो उबटणू, थारी काकियां-तइयां मन हूंस घणी,
वो तो तेल फुलेल चम्पा की कली, तू तो कर गोरा लाडा उबटणू।
थारा फूफा-जीजा संजोयी उबटणू, थारी भूवा-बहना मन हंूस घणी।
वो तो तेल फुलेल चम्पा की कली, तू तो कर गोरा लाडा उबटणू।
थारा नाना-मामा संजायो उबटणू, थारी नानियां-मामियां मन हूंस घणी,
वो तो तेल फुलेल चम्पा की कली, तू तो कर गोरा लाडा उबटणू।