भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जनेऊ गीत / 1 / राजस्थानी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKLokRachna |भाषा=राजस्थानी |रचनाकार= |संग्रह= }} {{KKCatRajasthaniRachna}} <poe...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

17:57, 7 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण

पढणो चायो हे बहन बनारस में ब्यांरा दादाजी।
जावण देय, बनासा थे यांही भणो जी।
थांका गुरुजी से पचरंग मोलियो थांकी गुराणी ने।
दिखणी रो चीर, बनासा थे यहीं भणो जी।
थांका गुरुजी ने मुरक्यां दोवड़ा थारी गुराणी ने
नौसर हार, बनासा थे मांही यांही भणो जी।