भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"चाक गीत / 1 / राजस्थानी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKLokRachna |भाषा=राजस्थानी |रचनाकार= |संग्रह= }} {{KKCatRajasthaniRachna}} <poe...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
18:12, 7 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण
राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
आज म्हारो बादलियो राण्या करो सिणगार। पूत सूरज जी रा बीरा बाई सोदरा का।
थांका ही बरज्या सायब बिना रहवा। आज म्हारो मादलियो राण्यां करो सिणगार।
पूत भंवरलाल सा का बीर बाई नणदल का। पूत... ज्यां का बीरा बाई... का
नोट- इसी प्रकार सब परिवार के सदस्यों के नाम लें।