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"चाक गीत / 3 / राजस्थानी" के अवतरणों में अंतर

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18:12, 7 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण

कुम्हार का रे आमा तो सामा ओबरा। कुम्हार कारे सूरजसामी पोल।
मोजी ललकारे बासण घड़बो छोड़ द्यो। कुम्हार कारे थारे घटी घलायदू सामी साल मे।

मोजी ललकारे तू बासण घडबो छोड़ द्यो। कुम्हार कारे थारे चुला चोबासरे माय।
मोजी ललकारे, बासण घड़बो छोड़ द्यो। कुम्हार कारे मैं तो मंगाया खोड्या खोपरा।
कुम्हार का रे द्यो ढाकणी को ढक कुम्हार का रे बासण घड़वो छोड़ दे।