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"बना के गीत / 5 / राजस्थानी" के अवतरणों में अंतर

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आज तेरा, शृंगार कराऊं बन्ना रे
तोहे बांका-सा दुल्हा बनाऊं बन्ना रे।
उबटन केसर करूं, गंगाजल नीर भरूं।
तोहे मन मल के आज नहलाऊं बन्ना रे
बांकी सी पगड़ी बांधू, हीरे की कलंगी सांजू।
तोहे केसरिया जामा पहनाऊं बन्ना रे।
नैनो में कजरा सांजू, हाथों में कंगना बांधूं
तोहे पन्ने का हार पहनाऊं बन्ना रे।
जीवन मैं तो पे वारूं झोले भर मोती वारूं
तोहे देख देख नैना रिझाऊं बन्ना रे।
आज तेरा शृंगार कराऊं बन्ना रे
तोहे बांका-सा दुल्हा बनाऊं बन्ना रे।