भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बना के गीत / 14 / राजस्थानी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKLokRachna |भाषा=राजस्थानी |रचनाकार= |संग्रह= }} {{KKCatRajasthaniRachna}} <poe...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

18:33, 7 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण

मेरी बैठक तेरे सामना रे बन्ने
गलियों में आना जाना छोड़ दे
शीश बन्ने के चीरा सोहे
तेरी कलंगी पे नाच रहे मोर,
गलियों में आना जाना छोड़ दे...
कानों में तेरे कुण्डल सोहे
तेरे मोतियों पे नाचे रे मोर
गलियों में आना जाना छोड़ दे...
संग में तेरे डोला सोहे
तेरे जोड़े पे नाच रहे मोर
गलियों में आना जाना छोड़ दे...