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राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
मेरी बैठक तेरे सामना रे बन्ने
गलियों में आना जाना छोड़ दे
शीश बन्ने के चीरा सोहे
तेरी कलंगी पे नाच रहे मोर,
गलियों में आना जाना छोड़ दे...
कानों में तेरे कुण्डल सोहे
तेरे मोतियों पे नाचे रे मोर
गलियों में आना जाना छोड़ दे...
संग में तेरे डोला सोहे
तेरे जोड़े पे नाच रहे मोर
गलियों में आना जाना छोड़ दे...