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राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
जुग-जुग जीवे मेरा हरियाला बन्ना रे
जुग-जुग जीवे मेरा हरियाला बन्ना रे
नवल बन्नी का नवल बन्ना रे
सुघड़ बन्नी का चतुर बन्ना रे
जुग-जुग जीवे मेरा हरियाला बन्ना रे
जब-जब बन्नी मेरी केश संवारे
शीशा दिखावे मेरा हरियाला बन्ना रे
जुग-जुग जीवे मेरा हरियाला बन्ना रे
जब-जब बन्नी मेरी केश संवारे
मुखड़ा निहारे मेरा हरियाला बन्ना रे
जुग-जुग जीवे मेरा हरियाला बन्ना रे
जब-जब बन्नी मेरी साड़ी पहने
पायल पहनावे मेरा हरियाला बन्ना रे
जुग-जुग जीवे मेरा हरियाला बन्ना रे
जब-जब बन्नी मेरी सेजों पे आवे
वारि-वारि जावे मेरा हरियाला बन्ना रे
जुग-जुग जीवे मेरा हरियाला बन्ना रे।