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राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
गौरी गणेश मनाओ, मनाओ री बहना।
शीश बन्ने के सेहरा भी सोहे
लड़ियों से इतर लगाओ, लगाओ री बहना। गौरी गणेश...
गल बन्ने के चेन भी सोहे
तोड़े से इतर लगाओ, लगाओ री बहना। गौरी गणेश...
हाथ बन्ने के घड़ियां भी सोहे,
कंगने से इतर लगाओ, लगाओ री बहना। गौरी गणेश...
पैर बन्ने के जूते भी सोहे,
चलगत पे इतर लगाओ, लगाओ री बहना। गौरी गणेश...
संग बन्ने के बन्नी भी सोहे,
जोड़ी पे इतर लगाओ, लगाओ री बहना। गौरी गणेश...