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राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
नखरालो बन्ने जी बन्नी पर जादू करगो
मतवालो बन्ने जी बन्नी पर जादू करगो
रंग-रंगलो छैल-छबीलो ओ बन्नो है प्यारो
मीठो-मीठो मुलक रहो है
नखरालो बन्ने जी बन्नी पर जादू करगो
शीश बने के कलंगी सोहे, सेहरा की शोभा न्यारी
घोड़ी ऊपर बैठ्यो बन्नो पहन्यो सूट हजारी
हरियालो बन्नो जी, बन्नी के चित्त चढ़गो।
नखरालो बन्ने जी बन्नी पर जादू करगो
सज कर आया बन्ना जी तो संग में लाय बराती
आगे-आगे नाच रहे हैं बन्ने जी के साथी
कामणगारो बन्नो जी बन्नी पर कामण करगो।
नखरालो बन्ने जी बन्नी पर जादू करगो
मतवालो बन्ने जी बन्नी पर जादू करगो।