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राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
इस घोड़ी न पैचा सोवे, तुर्रा अंग लगाती है,
हाथ में लोटा बगल में धोती सरवर नाबा जाती है,
देखो रे दिल जान घोड़ी कितना मजास्यू आती है,
नाचती भी आवे कूदती भी आवे, लोट पलेटा खाती है।