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राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
माली थारा बाग में बाबासा बाई भांग जी
भांग भांग बाबासा पीग्या लारे रहग्या फूल जी
सिरदार बनासा सेवारो गुंथाय र सिर पर टांकल्यो।
उमराव बनासा गजरा गुंथाय र बनी रे भेजद्यो
माली थारा बाग में दादाजी बाई भांग जी
सरदार बनासा सेवारो गुंथाय र सिर पर टांकल्यो
उमराव बनासा गजरा गुंथाय र बनी रे भेजद्यो।