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राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
दादा सा री अल्या गल्या में कई फेरो री मालणियां
बांकी दाद्या पूछ छै मालण कई-कई सोदा लाई जी,
कली केवड़ो दाख चारोली, सेवरियो गुथ ल्याई,
अरी अस्यो सेवरियो मारा राइबर न सोवे।