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राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
आज म्हारे नौगज धरती हर चढ़यो। आज म्हारे सोलवो सोनी सिंग चढ़यो।
चढ़ियो म्हारे सुसराजी रे राज मनड़ो म्हारे हरखियो।
कमल रा फूल ज्यूं जिवड़ो ठण्डो म्हारो, ठाकुरजी रा हेत ज्यूं।
आज म्हारे चूड़ा चूंदड़ सिग चढ़या। चढ़या म्हारा बाबाजी रा राज।
मनड़ो म्हारो हरखियो।
आज म्हारा कसूमल आगे सिर चढ़ाया। चढ़ाया म्हारा माताजी रा राज।
मनड़ो म्हारो हरखियो।
आज म्हारा लाखा को चूड़ा सिग चढ़यो। चढ़यो म्हारा बीराजी रा राज।
मनड़ो म्हारो हरखियो।
आज म्हारे रातो पीलो सिग चढ़यो। चढ़या म्हारा राजगी रे राज।
मनड़ो म्हारो हरखियो।
आज म्हारे मुठ्या लाडू सिग चढ़यो। चढ़यो म्हारो उखड़ल रे राज।
मनड़ो म्हारो हरखियो।