भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सुहाग-कामण / 5 / राजस्थानी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKLokRachna |भाषा=राजस्थानी |रचनाकार= |संग्रह= }} {{KKCatRajasthaniRachna}} <poe...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
08:23, 8 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण
राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
जयपुर का बाजार में जी कामण बिकाऊ आया जी
पूंछा जी लाडी की दाद्या, थे भी कामण जाणों छो।
जाणा छा र पिछाणा छा जन्मया जद का जाणा छा,
सेर दो सेरा न पगा चलाती, पंसेरी न मूंडे बुलाती,
आधो लाडू जान जिमाती, आधी दाल का बड़ा बनाती,
बिन बादलो मेह बरसाती, भरिया कुआं में मोर नचाती,
एक जलेबी में जान जिमाती, जद मारो कामण सांचो ये।