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राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
जद र नवल बना कांकड़ आया, तो कांकड़ करवा झुकाया सा,
नवल बना गाढ़ा रीज्यो सा, असल दुख्यारो मारो देश,
दुशाला वाला गाढ़ा रीज्यो सा, असल दुख्यारो मारो देश,
लपेटा वाला गाढ़ा रीज्यो सा, असल दुख्यारो मारो देश।
नोट- कांकड़ की जगह पनघट, बागां, चौखट, पोल्या माया, फेरा का नाम लेकर पूरा करें।