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चाल की तू चंचल बनड़ी बोली की तू प्यारी रे,
कालजारो टुकड़ो ए बेटी, किण संग आज सिधाई रे,
माताजी की डब डब अंखियां, झर झर नीर बहावे रे,
पिताजी की प्यारी अंखियां, आशीष यूं कहलावे रे,
छोड़ प्यार का बन्धन बेटी, किण संग आज सिधाई रे
माताजी ने दूध से पाला, झूली पिता की बांहो में,
सोच समझकर चलना ए बेटी, ससुराल की टेढ़ी राहों में।
छोड़ प्यार का बन्धन बेटी, किण संग आज सिधाई रे
हिचकी ले ले बहना रोवे, लुकछिप रोवे भाई रे,
कोई बताओ ऐ लोगो ये, कैसी दुनियादारी रे।
छोड़ प्यार का बन्धन बेटी, किण संग आज सिधाई रे
कोई बताओ ऐ लोगो ये, कैसी दुनियादारी रे।
छोड़ प्यार का बन्धन बेटी, किण संग आज सिधाई रे
ननद बाई से बर्ताव करो तो, याद बहन को रखना तुम,
देवर को तुम भैया समझना उसको पढ़ाना लिखाना तुम।
छोड़ प्यार का बन्धन बेटी, किण संग आज सिधाई रे
सास ससुर की सेवा करना, प्यार ही तेरा गहना,
पीकर कड़वे घूंट भी बेटी, सबसे हिलमिल से रहना।
छोड़ प्यार का बन्धन बेटी, किण संग आज सिधाई रे।