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राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
मोत्यां रा य लूमका झूमका, कस्तूरी बान्दरवाल जग जीत्यो ये बाण बधावणो।
लो बांधो... जी र ओवर, बांकी राणया जाया छै पूत, जग जीत्यो...
व तो सांठ्या नणद बाई अड़रिया, भाभियां लेस्या हिया रो हार। जग जीत्या...
मैं तो नत का ही नीपूली आंगणा, मैं तो ओसर पूरूली चौक। जग जीत्यो...
मैं तो नतका ही राधूंली लापसी, मैं तो ओसर रांधू उजला भात। जग जीत्यो...
मार नतका ही आव प्यारा पांवणा, मार ओसर आव लोड़यो बीर। जग जीत्यो...
मार नतका ही बाजा बाजिया, मार ओसर बाज्या जंगी ढोल। जग जीत्यो...
जग जीत्यो य पीहर सासरो, व तो जीत्या जी मामा मोसाला। जग जीत्यो...