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"गीत टोडर मल का / राजस्थानी" के अवतरणों में अंतर
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राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
भीतां माण्डा मांडणा के दादर के मोर, टोडरमल जीत्या जी।1।
हांरे मांही लोगां यूं कह्यो म्हारे जीत्या 2, दामड़लां रे भाग टोडरमल।
हांरे मांही लोगा देखल्यो म्हारे जीत्या ढोल बजाय। टोडरमल...।
हांरे लाड़ो नवे हरगिज नहीं नुवे म्हार लाड़कड़ा री नार। टोडरमल...।
हांरे मन में लाड़ो हंस दिया हारे डलो तो पड़यो छै म्हारे हाथ। टोडरमल...।
हांरे किसडोतो लाग्योथाने सासरो किसड़ी सालांरी जोड़। टोडरमल...।
म्हारे समद सरीसो सात सालारी जोड़। टोडरमल...।