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{{KKGlobal}}हम नहि छी{{KKRachnaभोर|रचनाकार=निशाकरहम नहि छी|अनुवादक=साँझ|संग्रह=ककबा करैए प्रेम / निशाकर}}{{KKCatAngikaRachna}}<poem>हम दुपहर छी।
हम नहि छी
छाउर
हम नहि छी
धुआँ
हम आगि छी।
 
हम नहि छी
बरफ
हम नहि
भाफ
हम पानि छी।
 
हम जिनगीक तारकें
नहि कसैत छी बेसी
आ ने ढ़ील करैत छी बेसी
साम्य रखबाक करैत छी प्रयास।
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