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"मोबाइल का कमाल / निशान्त जैन" के अवतरणों में अंतर
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बोले बच्चे चीज है ये
मोबाइल बड़ी कमाल।
हों पहाड़ पर या जंगल में,
धरती पर हों या अंबर में,
चुटकी भर में बात कराए,
कैसा किसका हाल।
मम्मी के मन चिंता छाई,
बबली अब तक क्यों न आई,
फोन मिलाया एक मिनट में,
बिन पिचकाए गाल।
चिट्ठी के दिन जब से बीते,
दादाजी थे रीते-रीते,
अब मोबाइल पर मैसेज से,
करते रोज धमाल।
चलते-फिरते बात करें हम,
लेटे-बैठे याद करें हम,
मम्मी बोली, देखो जी अब
इन बच्चों की चाल।
रेल में हों या कोई रैला,
तार-वार का नहीं झमेला,
नए दौर की पीढ़ी से है,
बैठी इसकी ताल।