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"जीवन के गीत / मंजूषा मन" के अवतरणों में अंतर

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18:50, 17 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण

तुम हर बार अपने रौशनदान से
हटाकर फेक दोगे
मेरा छोटा सा घौंसला,

नन्ही सी जान के इस अथक परिश्रम का
कोई मोल नहीं है तुम्हारे लिए,
बसा नीड़ उजड़ जाने का
कोई दर्द नहीं होगा तुम्हें...

न हो... पर,
तुम मिटा नहीं सकोगे मेरा हौसला,
तिनके चुनने की मेरी क्षमता,
और रौशनदान के चुनाव का अधिकार
मेरा नवनिर्माण का साहस...

मैं फिर तिनके चुगूंगी
मैं फिर तुम्हारा ही रौशनदान चुनूंगी
मैं नया घौंसला बुनूँगी...

देख लेना तुम...

हाँ देख ही तो सकोगे तुम।