भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पद / 4 / बाघेली विष्णुप्रसाद कुवँरि" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बाघेली विष्णुप्रसाद कुवँरि |अनु...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

11:09, 19 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण

वृन्दावन-पावस छायो।
चहूँ दिसि कारे अम्बर छाये नीलमणी प्रिय मुख छायो॥
कोयल कूक सुमन कोमल के कालिंदि कूल सुहायो।
विष्णु कुँवरि जग श्याम रँग छायो श्यामहि सिंधु समायो॥