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अबै मत जाओ प्राण-पियारे।
तुम्हें देख मन भयो उमँग में मेरो चित्त चुरायो रे॥
कहा कहँ या छवि बलिहारी नैनन में ठहरायो रे।
विष्णु कुँवारि पकड़ि चरनन को बरबस हृदय लगायो रे॥