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"पद / 9 / बाघेली विष्णुप्रसाद कुवँरि" के अवतरणों में अंतर

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रूप परस्पर दोऊ लुभाने।
नैन बैन सब मोहि रहे हैं सब हैं हाथ बिकाने।
अधिक पिया प्यारी की छवि पर करत न कछु अनुमाने॥
प्रिया हुलस प्रीतम-अंग लागे बहुत उचक ललचाने।
विष्णु कुँवरि सखियाँ सब बोलीं मन मेरो उमगाने॥