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चन्द्रकला बाई बूँदी के कवि और दीवान कविराज राव गुलाबसिंह की दासी की पुत्री थीं। स्वयं चन्द्रकलाजी ने अपना परिचय इस प्रकार दिया है:-
बरस पंच-दस की बय मेरी।
कवि गुलाब की हूँ मैं चेरी॥
बालहिं ते कवि-संगति पाई।
ताते तुम जोरन मोहिं आई॥