भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पद / 6 / रानी रघुवंशकुमारी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रानी रघुवंशकुमारी |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

17:53, 19 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण

सीतल मन्द सुगंध समीर लगे जपि सज्जन की प्रिय बानी।
फूलि रहे बन-बाग समूह लहै निमि कीर्ति गुणकार ज्ञानी॥
नीक नवीन सुपल्लव सोह वढ़ै जिमि प्रीति के स्वारथ जानी।
गान रै कल कीर चकोर बढ़ैं जिमि बिप्र सुमंगल बानी॥