भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पद / 7 / रानी रघुवंशकुमारी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रानी रघुवंशकुमारी |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
17:53, 19 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण
कहत पुकार कोइलिया हे ऋतुराज।
न्याय-दृष्टि से देखहु बिपिन-समाज॥
सोना सम्पति काज त्यागि सब साज।
भये उदासी बिरिया बिसरो लाज॥
ध्यान करहु इत अब सुध कस नहिं लेत।
तीछन बहत बयरिया करत अचेत॥