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"तुम्हारी याद / श्वेता राय" के अवतरणों में अंतर

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चले जाना तुम्हें जब था, गले फिर क्यों लगाये थे॥
 
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महकते ख्वाब में मेरे, भरोगे रंग लाकर तुम॥
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चलूँगी साथ में दिल की, जहाँ तक राह जाती है।  
 
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12:26, 22 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण

सितारे जब चमकते हैं, तुम्हारी याद आती है।
कभी मुझको हँसाती है, कभी मुझको रुलाती है॥

पकड़ कर हाथ मेरा ये, नज़ारे क्यों दिखाये थे।
चले जाना तुम्हें जब था, गले फिर क्यों लगाये थे॥
दिलों का हाल आँखें ये, ज़माने से छुपाती हैं।
कभी मुझको...

तुम्हारे साथ की बातें, बनी कलियाँ चटकती है।
तुम्हारे साथ की खुशबू, हवायें ले मटकती हैं॥
गले लग चाँदनी मेरे, विरह के गीत गाती है।
कभी मुझको...

मिलोगे जब कभी हमदम, समय के पार आकर तुम।
महकते ख़्वाब में मेरे, भरोगे रंग लाकर तुम॥
चलूँगी साथ में दिल की, जहाँ तक राह जाती है।
कभी मुझको...