"यशोधरा अब नहीं बोलेगी / संजय तिवारी" के अवतरणों में अंतर
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मृत्यु से डर गए?
जिन्हे रोग हुए वे मर गए
मरे तो वे भी
जो स्वस्थ थे? निरोग थे
तुम भी तो मरे?
तुम्हें कितने रोग थे?
तुमने तो ज्ञान भी पा लिया था
अपना धर्म भी बना लिया था
भिक्षा से करते थे आहार
रहने को बना लिए थे बिहार
आखिर सनातन के ज्ञान में क्या नहीं था
तुमने जो पाया उसमें क्या सही था
भूख
भय
बीमारी
क्या मिटा सके?
सृष्टि को इनसे हीन बना सके?
सृष्टि से पूर्व के
सृष्टि के दर्शन थे
सृष्टि के बाद
दर्शन के व्यावहारिक प्रदर्शन थे
सब सोने की तरह खरा था
जन्म था और ज़रा था
माया के साथ
दया
करुणा
क्षमा
ममता
और मैत्री
सनातन की शक्ति थी
सबसे बड़ी भक्ति थी
यह सब
तब तो थे ही
आज भी हैं
तब तक रहेंगे जब है यह सृष्टि
और इस सृष्टि के बाद भी
पर तुम?
तुम्हारा धम्म?
अभी हैं और भी बड़े सवाल
करके तुम्हारे पौरुष का ख़याल
कर रही हूँ प्रश्नावलियों का अंत
मेरी जुबान फिर कभी खुलेगी
फिलहाल यशोधरा
नहीं बोलेगी।