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सिर्फ़ खिलौना समझा हमको
कुल को दीपक देने वाले
कोई मन की पीर न जाना।
की किस्मत में है बुझ जाना।
सदियों से आबाद रहा है, .
अपने अंदर का वीराना।
झाँसी की रानी बन हमने
साहस का है पाठ पढ़ाया।
मुस्कानों का लगा मुखौटा
और त्याग की परिभाषा क्या
जीने को मजबूर हुये हम,
पन्ना बन सबको समझाया
केवल खुशियों की चाहत में
तुमने फूल चुने बगिया से
खुशियों से ही दूर हुये हम,
शूल हमारे हिस्से आये
जीवन के हर इक पड़ाव पर
लेकिन तुम ये भूल रहे हो
हमें वक्त ने सबक सिखाये
फूलों को पड़ता मुरझाना।
सीख लिया है अब इस दिल ने .
सबसे अपना दर्द छिपाना।
कोई दोष हमारा कब था
फिर भी हमको शिला बनाया।
हमें दाँव पर लगा सभा में
चीरहरण तुमने करवाया।
वृंदा को छलने की खातिर
ईश्वर तक पथभ्रष्ट हो गये
कितने ही युग बीते लेकिन
हरदम हमें पड़ा पछताना
हमने खुद को धरती कर के
तुमको ही आकाश बनाया
पर हमको कमजोर बताकर
तुमने बस उपहास उड़ाया
जिससे पाया जीवन तुमने
उसे कोख में मार रहे हो.