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"ओ पृथ्वी! / असंगघोष" के अवतरणों में अंतर
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प्रलय मच जायेगा | प्रलय मच जायेगा | ||
तुम्हें पूजना बंद कर देंगे, वे | तुम्हें पूजना बंद कर देंगे, वे | ||
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इसलिए कूबड़ निकाले | इसलिए कूबड़ निकाले | ||
झुकी रहो | झुकी रहो | ||
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शेषनाग के फन से गिर पड़ोगी | शेषनाग के फन से गिर पड़ोगी | ||
यदि है, | यदि है, | ||
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− | हम मारे जाएँगे शंबूक | + | हम मारे जाएँगे शंबूक की मानिंद? |
हम नहीं मानते | हम नहीं मानते |
08:48, 14 दिसम्बर 2018 के समय का अवतरण
ओ पृथ्वी!
तुम झुकी रहो
अपने अक्षांश पर
कहीं सीधी हो गई तो
प्रलय मच जायेगा
तुम्हें पूजना बंद कर देंगे, वे
तुम्हारी प्रशंसा में रचे मंत्रों का
उच्चार
बंद हो जायेगा
तुम बनी रहो यथावत्
वरना, जड़ से
समाप्त हो जाएगा
जातिगत अहंकार
बिना पूजे पत्थर की तरह
कहीं भी पड़ी रहोगी
इसलिए कूबड़ निकाले
झुकी रहो
सीधी हो गई तो
शेषनाग के फन से गिर पड़ोगी
यदि है,
तो फुफकार मार
काटने दौड़ेगा
शेषनाग
उनके इशारे पर
हम मारे जाएँगे शंबूक की मानिंद?
हम नहीं मानते
तुम किसी ऐरा-गैरा के
फन पर टिकी हो
हमारे लिए तुम झुकी रहो
उनको गाने दो
प्रशंसा में गीत
भयभीत हो
मंत्रोच्चार करने दो
बस तुम
इसी तरह
झुकी रहो