"कविता: एक आरोग्य कला" के अवतरणों में अंतर
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10:15, 17 जनवरी 2019 के समय का अवतरण
प्रसंग
जब भी किसी जीवन में कविता के चिन्ह नज़र आएँ तो उन्हें नज़रंदाज़ नहीं करना चाहिए।
इस सफ़र में हर पथिक के सामने कभी न कभी ऐसा पड़ाव आता है, जब वह अपनी आत्मा से काव्य के ज़रिये संपर्क स्थापित करता है। यह एक रहस्यमय सम्बन्ध है और इस बड़बड़ाहट को अनावश्यक नहीं समझना चाहिये। सभ्यताओं ने नव-विचारकों को हमेशा समाज से बाहर करने, बदलने, रोकने, दबाने की कोशिश की है। उन्हें कभी पागल, कभी भ्रांतचित्त, कभी उन्मत्त कह कर नए विचारों से उदित नई सामाजिक-चेतना को दबाया है। हम सभी में थोड़ा पागलपन है जिसे हमें अपने अंतर्मन से बाहर लाकर उजागर करना चाहिए। इसके लिये अपने अहम् की परिधि से बाहर आकर, अपने से बाहर के खुद को स्वीकार करना होगा। इसी से समाज की प्रज्ञा, सहिष्णुता और उदारता में वृद्धि होगी।
जीवन में घटित सिर्फ एक प्रसंग सत्य नहीं कहला सकता, सच घटनाक्रम के चक्रों से परे है। जो अपरिहार्य है, जो होना ही है उसकी श्रृंखला को सैद्धांतिक, मानक तर्क नहीं माना जा सकता है। एक विशिष्ट दृष्टिकोण से देखें तो कहना उचित होगा कि अतीत को भुलाया और भविष्य को अनछुआ नहीं छोड़ा जा सकता। जो सूत्र भूत, भविष्य और वर्तमान को पिरोए, उसे खोजना होगा। हर कवि को अपनी कवि -चेतना को गंभीरता का सूचक मानकर, कवि-चरित्र की गहनता को स्वीकारते हुए, एक विश्वसम्प्रद अंत:प्रज्ञाजन्य मानचित्र बनाना होगा। कवियों का जुटना, काव्य-प्रतिवचन, और आध्यात्मिक-विमर्श ज़रूरी है। ज्ञान और विचार नए युग का नशा हैं और खुद को संयमित व प्रेम को सजग रखने के लिये एकांत नितांत आवश्यक है। जिनरासदास जी के कला और कविता-लेख पर चिन्तनयुक्त अन्वेषण ज़रूरी है। अनुसंधान को प्रयोगशाला की चार दीवारों से बाहर आकर बंद आंखों के प्रशांत मंडल में उतर जाना होगा।
निष्कपट, खुले हुए मन से साथ, एक काव्यात्मक जीवन अपने भीतर संजोते हुए मानव जीवन के बदलते आयाम और ज़रूरतें, एक खूबसूरत सफर पर निकलते हैं।
कविता से वो सभी रास्ते खुल जाते हैं जो जीवन की सामान्यता में लुप्त हो गए हैं। हिम्बा की सांस्कृतिक परम्पराओं और संगीत-स्वर-जीवन का सभ्यताओं से आकस्मिक प्राकृतिक जुड़ाव बहुत कुछ सिखाता है। हर वेद, हर प्रार्थना, हर आध्यात्मिक सोपान में अंतर्हित है एक स्वर-संगीत, एक शाब्दिक लय, एक अर्थ-भाव और पुरुष-प्रकृति का समागम। जीवन से छन कर, अलग अलग विषयों की परिधियों में सीमित ज्ञान को एकत्र कर, एक आयाम पर लाना होगा। जहाँ सभ्यताओं ने बाँट कर ज्ञान अर्जित किया है वहां पर उसका बोध पूर्णरूपेण समायोजित करना अनिवार्य है। यह समाकलन कला, एकांत की अपूर्व कविताओं और लय में निहित है। देशों की सीमाओं, जीवन के विभाजन, समाजिक वर्गीकरण, अर्थशास्त्र, व्यापार सब विचार के घुड़सवार हैं, जबकि ह्रदय की ऊर्जस्विता अभी भी मरुभूमियों में बस रही है। हमें इस ऊर्जस्विता को स्वयं तक लाना होगा, काव्य में एक जुट होकर।
कविता सिर्फ़ साहित्य का हिस्सा नहीं है, उससे बढ़कर है
कविता भाषा है
कविता अलग आयाम में खोज का रास्ता है
कविता आरोग्य कला है
कविता नज़रिया है और जीवन बदलने की क्षमता रखता है
दुनिया के साथ, अपने काव्य सफर के अनुभव बांटने के लिये, आप सब आमंत्रित हैं।
"कविता लेखन से क्या आप अपने आप में कोई परिवर्तन महसूस करते हैं ? कविता लेखन ने आपकी कैसे मदद की " इस पर अपना अनुभव लिखिये।
कृपया अपनी तस्वीर के साथ लिख भेजें अपना नाम / लिंग / जन्म स्थान / निवास स्थल / किस उम्र से कविता लिख रहे / आज की उम्र)
आनन्द खत्री
उदाहरण
हर बार जब मैं भावनाओं के बहाव में डूबने लगता हूँ, तो मैं कविताओं में उनमें बहा देता हूँ। भावनायें एक पुल बनाती हैं हमारे स्थूल शरीर और मानसिक क्षमताओं के बीच। जब भाव पूरी तरह पुष्पित होते हैं तो स्थूल और मानसिक शरीर की स्फूर्ति बढ़ जाती है। मेरा दुःख-सुख का अतिशय छंदों में तब तक बहता जाता है, जब तक मैं खाली न हो जाऊं।
जब मैं भूखा होता हूँ, तो खाने और स्वाद की कवितायेँ सबसे ज़्यादा बहती हैं। जब मैं जुदा होता हूँ तो प्रेम -श्रृंगार सबसे अच्छा लिखता हूँ। कविता ने मुझे प्रेम को जुदाई से और स्वाद को भूख से समझना सिखाया। मुझे तकलीफ से अब डर नहीं लगता। अब ज़िन्दगी बेहतर समझ में आती है और मैं इसके सारे रंग जीना चाहता हूँ ।
कविता बुद्धिजीवीता से वार्तालाप है। मेरा हाथ थाम कर कविता लिखवाई थी एक आध्यात्मिक-कवि ने तेरह साल की उम्र में मेरी पहली कविता। लेखन से मेरा भावना शरीर पूरी तरह विकसित हुआ है। क्योंकि भावनायें मुर्झाती नहीं हैं तभी मन और शरीर भी स्वस्थ रहते हैं।
(आनन्द खत्री "सूफ़ी बेनाम "/ पुरुष / कानपुर / नोएडा / १३ साल से लेखन आरम्भ किया / उम्र ४७ / तस्वीर संलग्न )
Context
Signs of poetry in an individual must not be overlooked. Every soul's journey through life, at some point, establishes this connect. It is a sure sign of mystical connect and must never be thought to be a wasteful mumbling, steering a person away from the duties of life. Civilization at large, tries to outcast-confine-change-kill those who lie beyond the spectrum of common understanding, judging them as insane-mad-delirious and hence closing off all possible expositions to new behaviour. A little bit of madness that each of us carries in our life and keeps it in the hiding, must shine out in the open. This requires coming out of the limited self and realizing one life, an act that would give more acceptance, more tolerance and understanding to societies at large.
A single happening in life cannot be called the Truth. Whatever is an inevitable consequence cannot be called Logic. In the higher sense, the past cannot be buried and future left untouched. The thread that can be used for maintaining these linkages has to be explored. Poets must take themselves seriously and must try to evolve an intuitive understanding of this world. More of spiritual reading and more of poetic communities, poetic conversations will show the light. Thought and intellect are the new age drugs and we must seek a bit of silence to remain loving and sane. CJ's explanation of art and poetry needs meditative investigation. Research must come out of labs, into the labyrinths of calm within closed eyes.
Accompanied by an open mind, a poetic life, imbibing the evolving nature of human life and the needs hidden in the change therein, make a great journey.
Conditioning closes life while poetry opens new vistas. The learning from tribal cultures of Himba talk about the sporadic-natural connect in between music-sound-life and societies. Every veda, every prayer that we use, every form of spirituality identifies and coalesces with sound-rhythm, it has word-music, it has meaning-emotion, matter-energy. Reintegration of understanding held in subjects formed out of the distilled parts of the complex fluid called life, is a must. While the societies have compartmentalized knowledge, they must also learn the art of fusing it back and the keys lie in the rhythm known to silence to asemic to music and to poetry. Political boundaries, division of life, social stratification, commerce, economy, markets, businesses are riding the horses of mind while the beasts of the heart still inhabit wastelands. We must venture deeper to tame these, and through poiesis, re-create a better world. We must join hands and unite.
Poetry is more than just a part of literature.
Poetry is a language.
Poetry is the tool of research in other dimensions.
Poetry is a Healing Art.
Poetry is an attitude and it can change your life.
I invite you all to share your experience with the world. Write on - " What changes do you feel in yourself after writing poetry and how has writing poetry helped you in life".
Please mention :
Name, Gender, City of Birth , Current place of residence, Age since the time you have been writing poetry, Present age and send it along with a photograph to us.
Anand Khatri
Example
Every time I am faced with an overload of emotions, I flow in poetry. Emotion form an important bridge between the physical vehicle and the mental abilities. Emotions which bloom to their full, give more agility to the other two vehicles, making life better and healthier. Extremes of sadness, happiness, all for me flow in verses, till the time I feel the release.
When I am hungry, poetry of food taste flows at its best. When I am separated, love flows best in poetry. Poetry has walked with me to experience love through longing and taste through hunger. I do not fear pain anymore. I understand life better and love living through its colours.
My hand was held by a poet-spiritualist, when I wrote my first poem at the age of 13. It was an intellectual dialogue concluding a story. Since then my writing has given a better development to my emotions leaving my mind and my physical vehicle untarnished by their wilting.
(Anand Khatri" Sufi benam"/ Male / Kanpur/ Noida/ writing since13/ current age 47 / photo attached)