भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कतौ आंधी पानी आय / जगदीश पीयूष" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जगदीश पीयूष |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
10:41, 28 फ़रवरी 2019 के समय का अवतरण
कतौ आंधी पानी आय।
कतौ भुइयां डोलि जाय॥
चढ़ा देसवा कै पपवा बंड़ेर माई जी।
लागा अंधरे के हथवा बटेर माई जी॥
हलाकान बा किसान।
ना बिकाय गोहूं धान॥
भवा जियरा हमार तै ठठेर माई जी।
लागा अंधरे के हथवा बटेर माई जी॥
कतौ काश्मीर हिल्स।
कतौ बंगला रैफिल्स॥
करै छतिया के पिपरा टटेर माई जी।
लागा अंधरे के हथवा बटेर माई जी॥
कतौ रूस वाले जार।
गोली चला थै बिहार॥
धना धरती के जंग बेर बेर माई जी।
लागा अंधेर के हथवा बटेर माई जी॥