भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"भवा देस म चलन / जगदीश पीयूष" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जगदीश पीयूष |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

10:45, 28 फ़रवरी 2019 के समय का अवतरण

भवा देस म चलन।
भाई भाई से जलन॥

कैसे जियरा कै हलिया बताई माई जी।
केका चबरा कै गलवा देखाई माई जी॥

रोवें कनिया म लाल।
भये बनिया बेहाल॥

हियां दुनियां कै चलिया बिकाई माई जी।
केका चबरा कै गलवा देखाई माई जी॥

कुलि मचि गै तबाही।
मरैं हमरे सिपाही।

देखा सिमवा पै ताल कै ठोकाई माई जी।
केका चबरा कै गलवा देखाई माई जी॥

होय लूट पाट मार।
बाटै रेवड़ी अन्हार।

काढ़ै चिरई कै खलरी कसाई माई जी।
केका चबरा कै गलवा देखाई माई जी॥