भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बाटै गोड़ घहरात / जगदीश पीयूष" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जगदीश पीयूष |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
10:55, 28 फ़रवरी 2019 के समय का अवतरण
बाटै गोड़ घहरात।
झूरै पेट बा पिरात॥
पाका पिरकी भये हमरे दवाई नाहीं बा।
हमका रामौ जी के घर सुनवाई नाहीं बा॥
पिया गये परदेस।
आवा कल्हिया सनेस॥
घरे भेजैं काव तनिको कमाई नाहीं बा।
हमका रामौ जी के घर सुनवाई नाहीं बा॥
कहां जाई काव खाई।
तुहीं बोला गंगा माई॥
तोहरे गोड़वा म फाटा थै बिवाई नाहीं बा।
हमका रामौ जी के घर सुनवाई नाहीं बा॥
ताकै छिनरा मोहार।
लागी केकरी गोहार॥
हियां जबरा के घरे भौजाई नाहीं बा।
हमका रामौ जी के घर सुनवाई नाहीं बा॥