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"मेंहदी के साँस / रामकृष्ण" के अवतरणों में अंतर

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कइसन हवा बहल अनगुत्ते से असराएल फागुन में।
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टह-टह जे इंजोरिआ हल
माटी के कन-कन में बासल वास समाएल फागुन में॥
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कन्ने ऊ पराएल हे,
गदराएल झँगरी मनझुमरी, मटर, खेसारी, मसुरी के।
+
सपना के सजल बसती
सरसो के सौंसे तन अबटन, मन पिअराएल फागुन में॥
+
काहे तो नुकाएल हे॥
साँस-साँस में बरे गुदगुदी, आँख मतौनी के पाती।
+
असरा के समुन्नर में
कने-कने खुदबुदी चिरइआँ हे अगराएल फागुन में॥
+
जिनगी के लहर उमगे।
छने-छने बसुली के हिरदा, गा-गा फाग जगावित हे।
+
कुछ फूल खिले मनके
पोरे-पोर ढाक के देहे अगिन फुलाएल फागुन में॥
+
कुछ घाम उगे, लहके॥
अउरी-बउरी, कानाफूसी करे भउरवा आपुस में।
+
आखर जे कढ़ल अनकल
अनजानल, चीन्हल सिनेह के नाम धराएल फागुन में॥
+
कनिआँ सन लजाएल हे॥
असरा में ठुकमुक पिपनी, अगुआनी में खरके पिपरी।
+
बादर के करेजा में
अँगना-अँगना कउआ उचरे नेअरा आएल फागुन में॥
+
अनके, मलका मलके,
महुआ के मातल बतास में पाहुन के सनेस बोले॥
+
जे गीत बुनल महके
मान-मनौती के कनसबदा फिन अँखुआएल फागुन में॥
+
मनफेर अरथ खनके॥
राहे-बाटे बँटा रहल हे बैना फाग-ठिठोली के।
+
अब लालो परसबन्ना
कठकरेज-करजनिओ में रँग-रीत लजाएल फागुन में॥
+
काहे तो सेराएल हे॥
आवऽ चलऽ सभे मिल बाँटऽ नेह मिठाई मनमा के।
+
फिनसे अमरइआ के
टोला-टाटी से बतिआलऽ ई बउराएल फागुन में॥
+
छाती में दरद उगलो,
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पीअर फूलल सरसो-
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देहे, हरदी लगलो॥
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अलता में, मेंहदी में
 +
ऊ साँसो समाएल हे॥
 
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12:42, 3 मार्च 2019 के समय का अवतरण

टह-टह जे इंजोरिआ हल
कन्ने ऊ पराएल हे,
सपना के सजल बसती
काहे तो नुकाएल हे॥
असरा के समुन्नर में
जिनगी के लहर उमगे।
कुछ फूल खिले मनके
कुछ घाम उगे, लहके॥
आखर जे कढ़ल अनकल
कनिआँ सन लजाएल हे॥
बादर के करेजा में
अनके, मलका मलके,
जे गीत बुनल महके
मनफेर अरथ खनके॥
अब लालो परसबन्ना
काहे तो सेराएल हे॥
फिनसे अमरइआ के
छाती में दरद उगलो,
पीअर फूलल सरसो-
देहे, हरदी लगलो॥
अलता में, मेंहदी में
ऊ साँसो समाएल हे॥