भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"जइबइ हम ससुरारी / उमेश बहादुरपुरी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGeet}} <poem> जइबइ ह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
|||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
− | |रचनाकार= | + | |रचनाकार=उमेश बहादुरपुरी |
|अनुवादक= | |अनुवादक= | ||
− | |संग्रह= | + | |संग्रह=संगम / उमेश बहादुरपुरी |
}} | }} | ||
+ | {{KKCatBhojpuriRachna}} | ||
{{KKCatGeet}} | {{KKCatGeet}} | ||
<poem> | <poem> | ||
जइबइ हम ससुरारी, | जइबइ हम ससुरारी, | ||
− | छोड़ के बाप | + | छोड़ के बाप महतारी |
ताना मारे त मारे लोगवा, | ताना मारे त मारे लोगवा, | ||
− | लगइबइ पिया जी से | + | लगइबइ पिया जी से यारी |
+ | जइबइ .... | ||
सुन लऽ तूँ जी बाँके सजनमाँ, | सुन लऽ तूँ जी बाँके सजनमाँ, | ||
− | तूँही हहो हमर | + | तूँही हहो हमर सपनमाँ |
− | छोड़ देबइ हम महल- | + | छोड़ देबइ हम महल-अँटारी |
− | दिल देबो तोहरा | + | जइबइ .... |
− | बन जाये चाहे दुश्मन | + | दिल देबो तोहरा नजराना |
− | मार देबइ ओकरा | + | बन जाये चाहे दुश्मन जमाना |
− | छोड़म | + | मार देबइ ओकरा कटारी |
− | तूँ हीं हऽ हमर कृष्ण- | + | जइबइ .... |
− | चाहे पारे कोय | + | छोड़म नञ् हम तोहर कलइया |
+ | तूँ हीं हऽ हमर कृष्ण-कन्हैया | ||
+ | चाहे पारे कोय टिटकारी | ||
+ | जइबइ ..... | ||
</poem> | </poem> |
12:47, 14 मार्च 2019 के समय का अवतरण
जइबइ हम ससुरारी,
छोड़ के बाप महतारी
ताना मारे त मारे लोगवा,
लगइबइ पिया जी से यारी
जइबइ ....
सुन लऽ तूँ जी बाँके सजनमाँ,
तूँही हहो हमर सपनमाँ
छोड़ देबइ हम महल-अँटारी
जइबइ ....
दिल देबो तोहरा नजराना
बन जाये चाहे दुश्मन जमाना
मार देबइ ओकरा कटारी
जइबइ ....
छोड़म नञ् हम तोहर कलइया
तूँ हीं हऽ हमर कृष्ण-कन्हैया
चाहे पारे कोय टिटकारी
जइबइ .....